बच्चो की कहानियां हिन्दी में | Baccho ki Kahani in Hindi

Baccho ki Kahani in Hindi

बंदर का खजाना ( Bandar ka Khajana )

बहुत समय पहले की बात हैं। एक गाँव में एक बंदर रहता था, जिसका नाम मोनू था। मोनू बहुत ही सरारती और खुश मिजाज का बन्दर था। वह सभी गाँव वालो का सम्मान करता था, और सभी बच्चो के साथ मिलकर खेलता था।Baccho ki Kahani in Hindi

एक दिन मोनू और उसके दोस्त, एक जंगल में खेलने के लिए गए। वे सभी बहुत देर तक खेलते-खेलते जंगल के बहुत अन्दर पहुच गए। तभी मोनू की नजर एक बहुत विशाल और पुराने पेड़ पर पड़ी, जब वे सब पेड़ के पास बहुचे तो उन्होंने देखा की पेड़ के नीचे से एक चमकीली रोशनी आ रही हैं। 

वे सब उस रोशनी के जब पास पहुचे तो उन्होंने देखा की वह रोशनी एक पुराने संदूक ( बक्सा ) से आ रही हैं। मोनू और मोनू के दोस्तों ने जब ये सब देखा तो वे सब पहले डर गए, कि पता नहीं इसमे क्या होगा। फिर मोनू ने हिम्मत बांधकर उस संदूक को खोलने का फैसला किया। 

मोनू ने उस बक्से को खोलने का पूरा प्रयास किया, पर मोनू उस संदूक को खोलने नाकामयाब रहा। तभी एक बूढा आदमी उनके पास से गुजर रहा था। उस बूढ़े व्यक्ति ने जब मोनू और उसके दोस्तों से पूछा की तुम लोग इतना परेशान क्यों हो, तो फिर मोनू और उसके दोस्तों पूरी बात बताई। 

ये सब सुनकर वो बूढा आदमी पहले मुस्कुराया और बोला ये तो बहुत आसान समस्या हैं, तुम्हे इस सदूक को अकेले नहीं बल्कि तुम सब को मिलकर उस संदूक को मिलकर खोलना चाहिए। ये सब बोलकर वो बूढा आदमी यहाँ से चला गया।

उसके जाने के बाद उन सब ने मिलकर उस संदूक को खोलने का प्रयास की और वो बक्सा इस बार खुल गया। जब वो सदूक खुला तो उसमे देखा की उसके अन्दर खजाना था। उसके अन्दर सोना, चांदी, हीरा, जवाहरात भरे हुए थे। ये सब देखकर वे सब बहुत खुश हुए, और उस खजाने को अपने गाँव ले गए। 

गाँव वालो ने उस सभी बच्चो की मेहनत की प्रसंसा की और उन्हें खजाने को सही जगह इस्तेमाल करने की सलाह दी। ये सब सुनकर फिर उन सब बच्चो ने अपने गाँव में उन पैसो से स्कूल और अस्पताल बनबाया और गरीब लोगो का इलाज करवाया। 

उस दिन के बाद मोनू और उनके दोस्त एक साथ खेलते, घूमते और खुशियों का आनंद लेते, और गाँव वाले भी उनके साथ समय बिताने लगे। 

सीख: इस कहानी से हमे यह सीखने को मिलता हैं, कि जिस काम को हम अकेले नहीं कर सकते। उस काम को हम साथ मिलकर बहुत ही आसानी से कर सकते हैं। खुशिया बाटने से हमे और खुशिया मिलती हैं। तब से मोनू और उसके दोस्त तब से एक साथ खेलते थे, और उन्होंने सीखा कि दोस्ती सबसे अनमोल चीज हैं, हमे कभी भी अपने दोस्तों का भरोसा नहीं तोडना चाहिए।

बंदर और मेंढक ( Bandar aur Medhak Baccho ki Kahani in Hindi )

एक समय की बात हैं, एक गाँव में एक बन्दर और एक मेढक रहते थे। वे दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। वे दोनों बचपन से ही एक दूसरे के साथ खेलते थे।

एक दिन मेढक और बन्दर दोनों एक पेड़ के नीचे खेल रहे थे। खलते खेलते उन्हें पेड़ के नीचे एक सुन्दर सी गिलहरी दिखयी दी, जिसकी आँखे बहुत अच्छी चमक रही थी। गिलहरी को देख कर बन्दर के मन में उससे दोस्ती करने का विचार आया, और मेढक से बोला, मेढक, मैं उस सुन्दर सी दिखने वाली गिलहरी से दोस्ती करना चाहता हूँ।

मेढक ने कहा, हाँ, सच में वो गिलहरी बहुत सुन्दर हैं, मगर हम उस गिलहरी से दोस्ती नहीं कर सकते। ये सुनते ही बन्दर को कुछ समझ नहीं आया, कि मेढक उससे दोस्ती करने को क्यों मना कर रहा हैं। फिर बन्दर ने मेढक से पूछा ऐसा क्यों हम उससे दोस्ती क्यू नहीं कर सकते। 

मेढक ने बहुत ही सरलता से बन्दर को समझाया, कि हम अलग हैं। मैं एक साधारण सा मेढक और तुम एक बन्दर हो और वो एक सुन्दर गिलहरी हैं। हम दोनों का जीवन अलग है। इस लिए हम उससे दोस्ती नहीं कर सकते। 

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बन्दर ने मेढक की बात सुनी मगर उसकी बात नहीं मानी, और गिलहरी के पास जाकर बैठ गया। बन्दर ने बहुत कोशिश गिलहरी की कि गिलहरी उससे दोस्ती कर ले, मगर गिलहरी ने उसकी तरफ देखा तक नहीं। गिलहरी का ये बर्ताब देखकर बन्दर निराश होकर वापिस आकर मेढक के पास बैठ गया।

मेढक ने उसे निराश देखा तो उससे कहा, कि दोस्त क्या तुम अभी भी नहीं समझे, हम दोनों बहुत अलग हैं। हमारी और गिलहरी की कभी दोस्ती नहीं हो सकती इस लिए तुम निराश न हो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हु और हम हमेशा अच्छे दोस्त बन के रहेगे।

बन्दर, मेढक की बाते सुनकर बहुत खुश हुआ और मेंढक की बात मान ली। गिलहरी से दोस्ती करने की इच्छा छोड़ दी। फिर वहा से वह दोनों दोस्त अपने घर वापिस लौट आय, और अब हर दिन मेढक और बन्दर दोनों साथ खेलते और खूब मस्ती करते रहते थे।

सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें दोस्तों के साथ समय बिताना चाहिए। और दोस्तों की हमेशा बात माननी चाहिए। क्योकि सच्चे मित्र हेमशा हमारे भले के बारे में ही सोचते हैं।